Let's Come Together


Maheshwaris Clubs International is an international service organization of people of Maheshwari community whose purpose is to bring together business and professional leaders in order to provide humanitarian services, encourage high ethical standards in all vocations, and to advance goodwill and peace around the world. 

The members of Maheshwaris Clubs are known as Maheshwarians (Mhn). The Maheshwarian's primary motto is "Devoted to Service". Maheshwarians usually gather fortnightly (a period of two weekly) for breakfast, lunch, or dinner to fulfill their first guiding principle to develop friendships as an opportunity for service.

New Maheshwaris Club Application Form.pdf



Start a new Maheshwaris Club in your city

जब आप एक नए माहेश्वरीज क्लब को शुरू (चार्टर) करते हैं, तो आप दुनिया भर के माहेश्वरी समाजबंधुओं में जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता बढ़ाते हैं। एक 'नया क्लब सलाहकार' इस प्रक्रिया के दौरान नए क्लब को विकसित और समर्थन करने के लिए स्थानीय समाजबंधुओं के साथ काम करता है। जो अपने शहर में 'माहेश्वरीज क्लब' शुरू करने की पहल करता है, इसे अपने माहेश्वरी मित्रों एवं समाजबंधुओं के सामने रखता है और उन्हें इसके लिए प्रेरित करता है उसे क्लब सलाहकार कहा जाता है l वो क्लब सलाहकार आप भी हो सकते है l

एक नया क्लब शुरू करने के लिए कारण-

-  आपके शहर में माहेश्वरीज क्लब नहीं है
-  आप समाजबंधुओं के साथ एक नए तरीके से बेहतर सम्बन्ध बनाना चाहते हैं
-  कुछ समाजबंधुओं को वैकल्पिक आवश्यकता होती है जिसमें वे खुद को सहज महसूस करें
 
एक नया माहेश्वरीज क्लब कैसे शुरू करें?

पहले आपको 'न्यू माहेश्वरीज क्लब एप्लिकेशन फॉर्म' प्राप्त करना होगा (इसी फॉर्म का पेज नंबर 5 'माहेश्वरीज क्लब मेम्बरशिप एप्लीकेशन फॉर्म' है, यह फॉर्म क्लब के हरएक सदस्य से भरकर लेना है)l 'न्यू माहेश्वरीज क्लब एप्लिकेशन फॉर्म' को पूरा भर के, विभागीय गवर्नर के हस्ताक्षर के साथ 'माहेश्वरीज क्लब्स इंटरनेशनल' के कार्यालय (Head Office - Maheshwaris Clubs International, Shri Gajanan, Shri Mahesh Chowk (West), Beed - 431122 Maharashtra, India) में भेजिए l यदि आपको नहीं पता है कि आपके विभाग में क्लब गवर्नर कौन है तो अथवा नया 'माहेश्वरीज क्लब' शुरू करने के बारे में अधिक जानकारी के लिए WhatsApp नंबर 9405826464 पर संपर्क करें l नया क्लब शुरू करने से पहले, याद रखें: एक नया माहेश्वरीज क्लब शुरू करने के लिए (एक नया माहेश्वरीज क्लब शुरू करते समय) कम से कम 15 सदस्य (Member) होने चाहिए।


न्यू माहेश्वरीज क्लब एप्लीकेशन फॉर्म (New Maheshwaris Club Application Form) का प्रिंट निकालने के लिए अथवा इस फॉर्म को Download करने के लिए कृपया इस Link पर click कीजिये > NEW MAHESHWARIS CLUB APPLICATION FORM.pdf

रक्त दान करें, जीवन दान करें


रक्तदान का अर्थ सिर्फ खुद के रक्त का दान से नही होता बल्कि रक्तदान से अभिप्राय किसी जरूरतमंद को जीवन के दान से है, साथ ही आप जरूरतमंद व्यक्ति और उसके परिवार वालों को खुशियाँ भी दान में देते हो इसलिए रक्तदान एक श्रेष्ठ दान है।

रक्त दान करना किसी के जीवन बचाना है, आप जो खून देते हैं वह आपातकालीन स्थिति में एक जीवन रेखा है उन लोगों के लिए जिन्हे दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता होती है।

रक्त सबसे अनमोल उपहार है 
जीवन का उपहार, जो कोई भी किसी अन्य व्यक्ति को दे सकता है आपका खून दान करने का निर्णय कुछ लोगों के जीवन को बचा सकता है। उन लोगों और उनके परिवारवालों के जीवन को खुशियों से भर सकता है।  

रक्तदान — महादान ।

Join us for creating a proud community


We are uniting the people and community leaders of Maheshwari community for the common good. With you, we can do this work more better.

माहेश्वरीज क्लब क्या है?


माहेश्वरीज क्लब, व्यापार और उद्योग करनेवाले माहेश्वरी समाज के लोगों का विश्वव्यापी संगठन है, जो मानवीय सेवा, सभी व्यवसायों में उच्च नैतिक स्तर को बढ़ावा देने और दुनिया में शांति और सद्भावना के निर्माण में सहायता देने हेतु विश्वव्यापी रुप से एकजुट होकर कार्यरत है. माहेश्वरीज क्लब व्यवसायी उद्यमियों द्वारा संचालित संस्था है. इससे जुड़े सभी सदस्य तन-मन-धन से सेवा को समर्पित हैं.

माहेश्वरीज क्लब का आदर्श वाक्य है "सेवा के लिए समर्पित".

इंसान अगर तय कर ले तो वह समाज, देश,
विश्वबंधुत्व और मानवता के लिए, समाजसेवा के लिए बहुत कुछ कर सकता है. सेवा से बढ़कर कुछ नहीं है. तुलसीदास ने कहा है ‘बड़ा जतन मानस तन पावा’ अगर मानव तन पाना इतना महत्वपूर्ण है, तो इसे सार्थक करना कितना महत्वपूर्ण होगा. माहेश्वरीज क्लब एक ऐसी ही संस्था है जो पूर्णरूपेण सेवा के लिए समर्पित है. माहेश्वरीज क्लब की गतिविधियाँ, विशेष रुप से स्थानीय क्लबों के स्तर पर किए गये कार्यों से, स्थानीय और विश्व समुदाय की सेवा करने का समान अवसर हर किसी को प्राप्त होता है.

माहेश्वरीज क्लब के सदस्यों को 'माहेश्वरियंस' कहा जाता हैं और वें पहनी हुई माहेश्वरीज क्लब के Logo वाली लेपल पिन के द्वारा आसानी से पहचाने जाते है. माहेश्वरियंस, स्थानीय माहेश्वरीज क्लब के सदस्य होते है और उनके क्लब द्वारा निर्धारित समय पर, 15 दिन में एक बार मिलते है. स्थानीय माहेश्वरीज क्लब "माहेश्वरीज इन्टरनेशनल" संस्था के आधार स्तंभ है. प्रशासनिक सुविधा के लिए, स्थानीय क्लबों को एक विभाग में शामिल किया जाता है

2016 में प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी, जो योगी और सामाजिक कार्यकर्ता है और अन्य तिन लोगों ने मिलकर, बीड, इंडिया मे माहेश्वरीज क्लब की स्थापना की. माहेश्वरीज क्लब माहेश्वरी समाज का देश-दुनिया का सबसे पहला "सेवा संगठन" है जो एक सिस्टम के आधार पर बना है, जिसमें हरएक माहेश्वरी व्यक्ति आधिकारिक तौर से अपना योगदान दे सकता है.

माहेश्वरीज इंटरनेशनल में माहेश्वरियंस डोनेट करते हैं, इसमें जितनी भी रकम जमा होती है वह माहेश्वरियन और ननमाहेश्वरियन के द्वारा होती है. दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा जो माहेश्वरी अखाड़ा के नाम से प्रसिद्ध है, जो माहेश्वरी समाज की शीर्ष प्रबंधन संस्था है माहेश्वरीज क्लब्स इंटरनेशनल के एडमिनिस्ट्रेटिव कार्य को देखता है, मानवीय सेवा कार्य तथा क्लबों द्वारा लिए जानेवाले सभी प्रोजेक्ट आदि सभी कार्य इसकी निगरानी में होते हैं. 

माहेश्वरीज क्लब तीन तरह से अपना काम करता है, हृयूमेनेटिरियन, स्कालरशिप और व्होकेशनल ट्रेनिंग टीम. उसी तरह इसके तीन ग्रान्ट होते हैं, रीजनल ग्रान्ट, ग्लोबल ग्रान्ट और पैकेज ग्रान्ट. माहेश्वरीज क्लब आवश्यकता और जरूरत के हिसाब से यह क्षेत्र तय करता है कि इसे कहाँ और क्या काम करना है.
भगवान महेशजी की इच्छा और कृपा-आशीर्वाद से माहेश्वरीज क्लब्स इंटरनेशनल का कार्यक्षेत्र दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और साथ ही इसकी महत्ता भी सिद्ध हो रही है और हम माहेश्वरियंस की यही कामना है की यह संस्था यूँ ही दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति करे.

2017-18 Maheshwaris International Theme


Maheshwaris Clubs International Guardian Shri Premsukhanand Maheshwari has announced his theme for the 2017-2018 year. 

Maheshwaris: Let's Come Together.

Colour code of Maheshwaris Club's symbol


माहेश्वरीज क्लब इंटरनेशनल के सिम्बॉल की png फाइल को Download करने के लिए कृपया इस Link पर click करें > Maheshwaris Clubs International symbol.png
 

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न्यू माहेश्वरीज क्लब एप्लीकेशन फॉर्म (New Maheshwaris Club Application Form) का प्रिंट निकालने के लिए अथवा इस फॉर्म को Download करने के लिए कृपया इस Link पर click कीजिये >
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जब आप एक नए माहेश्वरीज क्लब को शुरू (चार्टर) करते हैं, तो आप दुनिया भर के माहेश्वरी समाजबंधुओं में जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता बढ़ाते हैं। एक 'नया क्लब सलाहकार' इस प्रक्रिया के दौरान नए क्लब को विकसित और समर्थन करने के लिए स्थानीय समाजबंधुओं के साथ काम करता है। जो अपने शहर में 'माहेश्वरीज क्लब' शुरू करने की पहल करता है, इसे अपने माहेश्वरी मित्रों एवं समाजबंधुओं के सामने रखता है और उन्हें इसके लिए प्रेरित करता है उसे क्लब सलाहकार कहा जाता है l वो क्लब सलाहकार आप भी हो सकते है l 

एक नया क्लब शुरू करने के लिए कारण-

-  आपके शहर में माहेश्वरीज क्लब नहीं है
-  आप समाजबंधुओं के साथ एक नए तरीके से बेहतर सम्बन्ध बनाना चाहते हैं
-  कुछ समाजबंधुओं को वैकल्पिक आवश्यकता होती है जिसमें वे खुद को सहज महसूस करें
  
एक नया माहेश्वरीज क्लब कैसे शुरू करें?
 

पहले आपको 'न्यू माहेश्वरीज क्लब एप्लिकेशन फॉर्म' प्राप्त करना होगा (इसी फॉर्म का पेज नंबर 5 'माहेश्वरीज क्लब मेम्बरशिप एप्लीकेशन फॉर्म' है, यह फॉर्म क्लब के हरएक सदस्य से भरकर लेना है)l 'न्यू माहेश्वरीज क्लब एप्लिकेशन फॉर्म' को पूरा भर के, विभागीय गवर्नर के हस्ताक्षर के साथ 'माहेश्वरीज क्लब्स इंटरनेशनल' के कार्यालय (Head Office - Maheshwaris Clubs International, Shri Gajanan, Shri Mahesh Chowk (West), Beed - 431122 Maharashtra, India) में भेजिए l यदि आपको नहीं पता है कि आपके विभाग में क्लब गवर्नर कौन है तो अथवा नया 'माहेश्वरीज क्लब' शुरू करने के बारे में अधिक जानकारी के लिए WhatsApp नंबर 9405826464 पर संपर्क करें l नया क्लब शुरू करने से पहले, याद रखें: एक नया माहेश्वरीज क्लब शुरू करने के लिए (एक नया माहेश्वरीज क्लब शुरू करते समय) कम से कम 15 सदस्य (Member) होने चाहिए।

Organization and Administration Structure of Maheshwaris Clubs International


In order to carry out its service programs, Maheshwaris Clubs is structured in club, region and international levels. Star Maheshwari are members of their clubs. The clubs are chartered by the registered trust in India, Divyashakti Yogapeeth Akhada (abbreviated as Maheshwari Akhada) headquartered in Beed, India. For administrative purposes, all clubs are grouped into 16 zones.

Club -
The Maheshwaris Club is the basic unit of Maheshwari activity, and each club determines its own membership. Clubs originally were limited to a single club per city, municipality, or town, but Maheshwaris Clubs International has encouraged the formation of one or more additional clubs in the largest cities when practical. Most clubs usually meet fortnightly (a period of two weekly), usually at a mealtime on a fortnightly day in a regular location, when Club members can discuss club business and hear from guest speakers. Each club also conducts various service projects within its local community, and participates in special projects involving other clubs in the local district and region, and occasionally a special project in a "sister club" in the nation. Most clubs also hold social events at least quarterly and in some cases more often.

Each club elects its own president and officers among its active members for a one-year term. The clubs enjoy considerable autonomy within the framework of the standard constitution and the constitution and bylaws of Maheshwaris Clubs International. The governing body of the club is the Club Board, consisting of the club president (who serves as the Board chairman), a president-elect, club secretary, club treasurer, and several Club Board directors, including the immediate past president and the President Elect. The president usually appoints the directors to serve as chairs of the major club committees, including those responsible for club service, vocational service, community service and youth service.

Club members may attend any maheshwaris club around the world at one of their fortnightly (a period of two weekly) meetings.

Region level -
A regional governor, who is an officer of Maheshwaris Clubs International (MCI) and represents the MCI board of directors in the field, leads his/her respective Region Maheshwaris Club. Each governor is nominated by the clubs of his/her region, and elected by all the clubs meeting in the annual MCI Region Convention held each year. The regional governor appoints assistant governors from among the Club Members of the region to assist in the management of Maheshwaris Club activity and multi-club projects in the region.

Zone level -
Approximately 3 or 4 region form a zone. A zone director, who serves as a member of the MCI board of directors, heads two zones. The zone director is nominated by the clubs in the zone and elected by the convention for the terms of two consecutive years.

Maheshwaris Clubs International -
Maheshwaris Clubs International Headquarters in Beed, Maharashtra, India.

Maheshwaris Clubs International is governed by a board of directors composed of the international president, the president-elect, the general secretary, and 8 zone directors. The nomination and the election of each president is handled in the one- to three-year period before he takes office, and is based on requirements including geographical balance among Maheshwaris Club zones and previous service as a regional governor and board member. The international board meets quarterly to establish policies and make recommendations to the overall governing bodies, the MCI Convention and the MCI Council on Legislation.

Safa, Maheshwari Religious Tradition

 
राजस्थान की संस्कृति में साफे का अपना एक अलग ही महत्व है. साफा, इसे पगड़ी अथवा तुरबान भी कहा जाता है. एक समय ऐसा था जब राजस्थान में हर जिले और वहां की संस्कृति के अनुसार अलग अलग तरीके से साफा बांधा जाता था. साफा बांधने का ढंग जिले अथवा विभाग की पहचान कराते थे लेकिन मारवाड़ी साफा (जोधपुरी साफा) की बढ़ी लोकप्रियता ने सात समंदर पार तक अपनी पहचान बनाई. विदेशी लोगों में मारवाड़ी साफा पहनने की चाहत देखने लायक है. चाहे सुपरस्टार अमिताभ बच्चन हो, उनके साहबजादे अभिषेक बच्चन या देश के राजनीतिक या बड़े औद्योगिक घराने; जोधपुर का ‘पंचरंगी साफा’ तो इन सब को भाता ही है. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस के बाद गणतंत्र दिवस पर मारवाड़ी साफा पहनकर मारवाड़ी साफे का गौरव बढ़ाया हैं.

राजस्थान के मारवाड़ प्रान्त के मूल निवासी माहेश्वरी समाज में साफा (पगड़ी) को मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है. आज के समय में भी बहूत से माहेश्वरी लोग साफा बांधते है और माहेश्वरी संस्कृति को बनाये रखे है. पुरे भारतवर्ष में माहेश्वरी समाज एकमात्र समाज हैं जिसमे साफा बांधने की प्रथा अन्य समाजों से ज्यादा है. माहेश्वरी संस्कृति के अनुसार, अलग अलग प्रसंगो में अलग अलग रंगों के साफा बांधने की परंपरा है. अच्छे और शुभ प्रसंंगो में 'पचरंगी' साफा बांधे जाते है. शोक अथवा दुखद प्रसंग में सफ़ेद साफा बांधे जाते है. माहेश्वरी समाज का साफा बांधने का अपना एक विशिष्ठ ढंग है. माहेश्वरियों में साफे में पीछे पीठ पर लटकन (साफा बांधने के बाद पीठ पर छोड़ा जानेवाला कपड़ा) नहीं छोड़ी जाती है (साफे में पीछे लटकन छोड़ने की परंपरा राजपूत समाज में प्रचलित है, इसे राजपूती साफा कहा जाता है) तथा साफे में ऊपर तुरा अथवा कमान नहीं निकाली जाती है. माहेश्वरी समाज में विवाह प्रसग में तो साफे का अनन्यसाधारण महत्व है. माहेश्वरी संस्कृति और परंपरा के अनुसार विवाह प्रसंग में बींदराजा, मुख्य सवासना तथा जिनका विवाह है उस लडके और लड़की के घरवालों (पिता, काका, भाई और दादा) के ही साफे में तुरा निकाला जाता है अन्य सभी मेहमान और रिश्तेदार परंपरागत बिना तुरेवाला साफा ही बांधते है.

वर्तमान समय में समाज के कई लोगों को साफा बांधना नहीं आता है. विवाह प्रसंग में पैसे देकर साफा बांधनेवाले को बुलाना पड़ रहा है, माहेश्वरी संस्कृति के लिए यह एक दुखद स्थिति है. समाज के लिए कार्य करनेवाले संस्थाओं-संगठनों को चाहिए की वे साफा बांधना सिखाने के शिविर आयोजित करें, साफा बांधने की प्रतियोगिताओं का आयोजन करे जिससे की माहेश्वरी संस्कृति के गौरव का प्रतिक 'साफा' माहेश्वरी संस्कृति का और माहेश्वरी समाज का अभिन्न अंग बना रहे.

माहेश्वरी वंशोत्पत्ति कथा


खंडेलपुर (इसे खंडेलानगर और खंडिल्ल के नाम से भी उल्लेखित किया जाता है) नामक राज्य में सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा खड्गलसेन राज्य करता था l इसके राज्य में सारी प्रजा सुख और शांती से रहती थी l राजा धर्मावतार और प्रजाप्रेमी था, परन्तु राजा का कोई पुत्र नहीं था l खड्गलसेन इस बात को लेकर चिंतित रहता था कि पुत्र नहीं होने पर उत्तराधिकारी कौन होगा। खड्गलसेन की चिंता को जानकर मत्स्यराज ने परामर्श दिया कि आप पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाएं, इससे पुत्र की प्राप्ति होगी। राजा खड्गलसेन ने मंत्रियों से मंत्रणा कर के धोसीगिरी से ऋषियों को ससम्मान आमंत्रित कर पुत्रेस्ठी यज्ञ कराया l पुत्रेष्टि यज्ञ के विधिपूर्वक पूर्ण होने पर यज्ञ से प्राप्त हवि को राजा खड्गलसेन और महारानी को प्रसादस्वरूप में भक्षण करने के लिए देते हुए ऋषियों ने आशीवाद दिया और साथ-साथ यह भी कहा की तुम्हारा पुत्र बहुत पराक्रमी और चक्रवर्ती होगा पर उसे 16 साल की उम्र तक उत्तर दिशा की ओर न जाने देना, अन्यथा आपकी अकाल मृत्यु होगी l कुछ समयोपरांत महारानी ने एक पुत्र को जन्म दिया l राजा ने पुत्र जन्म उत्सव बहुत ही हर्ष उल्लास से मनाया, उसका नाम सुजानसेन रखा l यथासमय उसकी शिक्षा प्रारम्भ की गई l थोड़े ही समय में वह राजकाज विद्या और शस्त्र विद्या में आगे बढ़ने लगा l तथासमय सुजानसेन का विवाह चन्द्रावती के साथ हुवा l दैवयोग से एक जैन मुनि खंडेलपुर आए l कुवर सुजान उनसे बहुत प्रभावित हुवा l उसने अनेको जैन मंदिर बनवाएं और जैन धर्म का प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया l जैनमत के प्रचार-प्रसार की धुन में वह भगवान विष्णु, भगवान शिव और देवी भगवती को माननेवाले, इनकी आराधना-उपासना करनेवाले आम प्रजाजनों को ही नहीं बल्कि ऋषि-मुनियों को भी प्रताड़ित करने लगा, उनपर अत्याचार करने लगा l 

ऋषियों द्वारा कही बात के कारन सुजानसेन को उत्तर दिशा में जाने नहीं दिया जाता था लेकिन एक दिन राजकुवर सुजानसेन 72 उमरावो को लेकर हठपूर्वक जंगल में उत्तर दिशा की और ही गया l उत्तर दिशामें सूर्य कुंड के पास जाकर देखा की वहाँ महर्षि पराशर की अगुवाई में सारस्वत, ग्वाला, गौतम, श्रृंगी और दाधीच ऋषि यज्ञ कर रहे है, वेद ध्वनि बोल रहे है, यह देख वह आगबबुला हो गया और क्रोधित होकर बोला इस दिशा में ऋषि-मुनि शिव की भक्ति करते है, यज्ञ करते है इसलिए पिताजी मुझे इधर आने से रोकते थे l उसने क्रोध में आकर उमरावों को आदेश दिया की इसी समय यज्ञ का विध्वंस कर दो, यज्ञ सामग्री नष्ट कर दो और ऋषि-मुनियों के आश्रम नष्ट कर दो l राजकुमार की आज्ञा पालन के लिए आगे बढे उमरावों को देखकर ऋषि भी क्रोध में आ गए और उन्होंने श्राप दिया की सब निष्प्राण बन जाओ l श्राप देते ही राजकुवर सहित 72 उमराव निष्प्राण, पत्थरवत बन गए l जब यह समाचार राजा खड्गलसेन ने सुना तो अपने प्राण तज दिए l राजा के साथ उनकी 8 रानिया सती हुई l 

राजकुवर की कुवरानी चन्द्रावती 72 उमरावों की पत्नियों के सहित रुदन करती हुई उन्ही ऋषियो की शरण में गई जिन्होंने इनके पतियों को श्राप दिया था l ये उन ऋषियो के चरणों में गिर पड़ी और क्षमायाचना करते हुए श्राप वापस लेने की विनती की तब ऋषियो ने उषाप दिया की- जब देवी पार्वती के कहने पर भगवान महेश्वर इनमें प्राणशक्ति प्रवाहित करेंगे तब ये पुनः जीवित व शुद्ध बुद्धि हो जायेंगे l महेश-पार्वती के शीघ्र प्रसन्नता का उपाय पूछने पर ऋषियों ने कहा की- यहाँ निकट ही एक गुफा है, वहाँ जाकर भगवान महेश का अष्टाक्षर मंत्र "ॐ नमो महेश्वराय" का जाप करो l राजकुवरानी सारी स्त्रियों सहित गुफा में गई और मंत्र तपस्या में लीन हो गई l उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान महेशजी देवी पार्वती के साथ वहा आये l पार्वती ने इन जडत्व मूर्तियों को देखा और अपनी अंतर्दृष्टि से इसके बारे में जान लिया l महेश-पार्वती ने मंत्रजाप में लीन राजकुवरानी एवं सभी उमराओं की स्त्रियों के सम्मुख आकर कहा की- तुम्हारी तपस्या देखकर हम अति प्रसन्न है और तुम्हें वरदान देने के लिए आयें हैं, वर मांगो। इस पर राजकुवरानी ने देवी पार्वती से वर मांगा की- हम सभी के पति ऋषियों के श्राप से निष्प्राण हो गए है अतः आप भगवान महेशजी कहकर इनका श्रापमोचन करवायें l पार्वती ने 'तथास्तु' कहा और भगवान महेशजी से प्रार्थना की और फिर भगवान महेशजी ने सुजानसेन और सभी 72 उमरावों में प्राणशक्ति प्रवाहित करके उन्हें चेतन (जीवित) कर दिया l 

चेतन अवस्था में आते ही सभीने महेश-पार्वती का वंदन किया और अपने अपराध पर क्षमा याचना की l इसपर भगवान महेश ने कहा की- अपने क्षत्रियत्व के मद में तुमने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है l तुमसे यज्ञ में बाधा डालने का पाप हुवा है, इसके प्रायश्चित के लिए अपने-अपने हथियारों को लेकर सूर्यकुंड में स्नान करो l ऐसा करते ही उन सभी के हथियार पानी में गल गए l स्नान करने के उपरान्त सभी भगवान महेश-पार्वती की जयजयकार करने लगे l फिर भगवान महेशजी ने कहा की- सूर्यकुंड में स्नान करने से तुम्हारे सभी पापों का प्रायश्चित हो गया है तथा तुम्हारा क्षत्रितत्व एवं पूर्व कर्म भी नष्ट हो गये है l यह तुम्हारा नया जीवन है इसलिए अब तुम्हारा नया वंश चलेगा l तुम्हारे वंशपर हमारी छाप रहेगी l देवी महेश्वरी (पार्वती) के द्वारा तुम्हारी पत्नियों को दिए वरदान के कारन तुम्हे नया जीवन मिला है इसलिए तुम्हे 'माहेश्वरी' के नाम से जाना जायेगा l तुम हमारी (महेश-पार्वती) संतान की तरह माने जाओगे l तुम दिव्य गुणों को धारण करनेवाले होंगे l द्यूत, मद्यपान और परस्त्रीगमन इन त्रिदोषों से मुक्त होंगे l अब तुम्हारे लिए युद्धकर्म (जीवनयापन/उदरनिर्वाह के लिए योद्धा/सैनिक का कार्य करना) निषिद्ध (वर्जित) है l अब तुम अपने परिवार के जीवनयापन/उदरनिर्वाह के लिए वाणिज्य कर्म करोगे, तुम इसमें खूब फुलोगे-फलोगे l जगत में धन-सम्पदा के धनि के रूप में तुम्हारी पहचान होगी l धनि और दानी के नाम से तुम्हारी ख्याति होगी। श्रेष्ठ कहलावोगे (*आगे चलकर श्रेष्ठ शब्द का अपभ्रंश होकर 'सेठ' कहा जाने लगा) l तुम जो धन-अन्न-धान्य दान करेंगे उसे माताभाग (माता का भाग) कहा जायेगा, इससे तुम्हे बरकत रहेगी l 

अब राजकुवर और उमरावों में स्त्रियों (पत्नियोंको) को स्वीकार करने को लेकर असमंजस दिखाई दिया l उन्होंने कहा की- हमारा नया जन्म हुवा है, हम तो “माहेश्वरी’’ बन गए है पर ये अभी क्षत्रानिया है l हम इन्हें कैसे स्वीकार करे l तब माता पार्वती ने कहा तुम सभी स्त्री-पुरुष हमारी (महेश-पार्वती) चार बार परिक्रमा करो, जो जिसकी पत्नी है अपने आप गठबंधन हो जायेगा l इसपर राजकुवरानी ने पार्वती से कहा की- माते, पहले तो हमारे पति क्षत्रिय थे, हथियारबन्द थे तो हमारी और हमारे मान की रक्षा करते थे अब हमारी और हमारे मान की रक्षा ये कैसे करेंगे तब पार्वती ने सभी को दिव्य कट्यार (कटार) दी और कहाँ की अब तुम्हारा कर्म युद्ध करना नहीं बल्कि वाणिज्य कार्य (व्यापार-उद्यम) करना है लेकिन अपने स्त्रियों की और मान की रक्षा के लिए सदैव 'कट्यार' (कटार) को धारण करेंगे l मै शक्ति स्वयं इसमे बिराजमान रहूंगी l तब सब ने महेश-पार्वति की चार बार परिक्रमा की तो जो जिसकी पत्नी है उनका अपनेआप गठबंधन हो गया (एक-दो जगह पर, 13 स्त्रियों ने भी कट्यार धारण करके गठबंधन की परिक्रमा करने का उल्लेख मिलता है) l 

इसके बाद सभी ने सपत्नीक महेश-पार्वती को प्रणाम किया l अपने नए जीवन के प्रति चिंतित, आशंकित माहेश्वरीयों को देखकर देवी महेश्वरी उन्हें भयमुक्त करने के लिए यह कहकर की- “सर्वं खल्विदमेवाहं नान्यदस्ति सनातनम् l” ‘समस्त जगत मैं ही हूँ l इस सृष्टि में कुछ भी नहीं था तब भी मैं थीं। मैं ही इस सृष्टि का आदि स्रोत हूँ। मैं सनातन हूँ l मैं ही परब्रह्म, परम-ज्योति, प्रणव-रूपिणी तथा युगल रूप धारिणी हूं। मैं नित्य स्वरूपा एवं कार्य कारण रूपिणी हूं। मैं ही सब कुछ हूं। मुझ से अलग किसी का वजूद ही नहीं है। मेरे किये से ही सबकुछ होता है इसलिए तुम सब अपने मन को आशंकाओं से मुक्त कर दो’ ऐसा कहकर देवी महेश्वरी (पार्वती) नें सभी को दिव्यदृष्टि दी और अपने आदिशक्ति स्वरुप का दर्शन कराया l दिखाया की शिव ही शक्ति है और शक्ति ही शिव है l ‘शिवस्याभ्यन्तरे शक्तिः शक्तेरभ्यन्तरेशिवः।’ शक्ति शिव में निहित है, शिव शक्ति में निहित हैं। शिव के बिना शक्ति का अथवा शक्ति के बिना शिव का कोई अस्तित्व ही नहीं है। शिव और शक्ति अर्थात महाकाल और महाकाली, महेश्वर और महेश्वरी, महादेव और महादेवी, महेश और पार्वती तो एक ही है, जो दो अलग-अलग रूपों में अलग-अलग कार्य करते है। महेश-पार्वती के सामरस्य से ही यह सृष्टि संभव हुई। आदिशक्ति ने पलभर में अगणित (जिसको गिनना असंभव हो) ब्रह्मांडों का दर्शन करा दिया जिसमें वह समस्त दिखा जो मनुष्य नें देखा या सुना हुवा है और वह भी दिखा जिसे मानव ने ना सुना है, ना देखा है, न ही कभी देख पाएगा और ना उनका वर्णन ही कर पाएगा । तत्पश्चात अर्धनरनारीश्वर स्वरुप में शरीर के आधे भाग में महेश (शिव) और आधे भाग में पार्वती (शक्ति) का रूप दिखाकर सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति (पालन), परिवर्तन और लय (संहार); महेश (शिव) एवं पार्वती (शक्ति) अर्थात (संकल्पशक्ति और क्रियाशक्ति) के अधीन होनेका बोध कराया l चामुण्डा स्वरुप का दर्शन कराया जिसमें दिखाया की- “महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी” देवी महेश्वरी की ही तीन शक्तियां है जो बलशक्ति, ज्ञानशक्ति और ऐश्वर्यशक्ति (धनशक्ति) के रूप में अर्थात इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रियाशक्ति के रूप में कार्य करती है जिसके फलस्वरूप सृष्टि के सञ्चालन का कार्य संपन्न हो रहा है l महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी इन्ही त्रयीशक्तियों का सम्मिलित/एकत्रित रूप है चामुण्डा जो स्वयं आदिशक्ति देवी महेश्वरी ही है l आगे महाकाली के अंशशक्तियों नवदुर्गा और दसमहाविद्या तथा महालक्ष्मी की अंशशक्तियों अष्टलक्ष्मियों का दर्शन कराया l अंततः यह सभी शक्तियां मूल शक्ति (आदिशक्ति) देवी महेश्वरी में समाहित हो गई l तब आश्चर्यचकित, रोमांचित, भावविभोर होकर सभी ने सिर नवाकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहा की- हे माते, आप ही जगतजननी हो, जगतमाता हो l आपकी महिमा अनंत है l आपके इस आदिशक्ति रूप को देखकर हमारा मन सभी चिन्ताओं, आशंकाओं से मुक्त हो गया है l हम अपने भीतर दिव्य चेतना, दिव्य ऊर्जा और प्रसन्नता का अनुभव कर रहे है l हे माते, आपकी जय हो। हमपर आपकी कृपा निरंतर बरसती रहे l देवी ने कहा, मेरा जो आदिशक्ति रूप तुमने देखा है उसे देख पाना अत्यंत दुर्लभ है l केवल अनन्य भक्ति के द्वारा ही मेरे इस आदिशक्ति रूप का साक्षात दर्शन किया जा सकता है l जो मनुष्य अपने सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को, मनोकामनाओं से मुक्त रहकर केवल मेरे प्रति समर्पित करता है, मेरे भक्ति में स्थित रहता है वह मनुष्य निश्चित रूप से मेरी कृपा को प्राप्त करता है l वह मनुष्य निश्चित रूप से परम आनंद को, परम सुख को प्राप्त करता है l 

फिर भगवान महेशजी ने सुजानसेन को कहा की अब तुम इनकी वंशावली रखने का कार्य करोगे, तुम्हे 'जागा' कहा जायेगा l तुम माहेश्वरीयों के वंश की जानकारी रखोंगे, विवाह-संबन्ध जोड़ने में मदत करोगे और ये हर समय, यथा शक्ति द्रव्य देकर तुम्हारी मदत करेंगे l तत्पश्चात ऋषियों ने महेश-पार्वती को हाथ जोड़कर वंदन किया और भगवान महेशजी से कहा की- प्रभु इन्होने हमारे यज्ञ का विध्वंस किया और आपने इन्हें श्राप मोचन (श्राप से मुक्त) कर दिया l इस पर भगवान महेशजी ने ऋषियो से कहा- आपको इनका (माहेश्वरीयों का) गुरुपद देता हूँ l आजसे आप माहेश्वरीयोंके गुरु हो l आपको 'गुरुमहाराज' के नाम से जाना जायेगा l आपका दायित्व है की आप इन सबको धर्म के मार्गपर चलनेका मार्गदर्शन करते रहेंगे l भगवान महेशजी ने सभी माहेश्वरीयों को उपदेश दिया कि आज से यह ऋषि तुम्हारे गुरु है l आप इनके द्वारा अनुशाषित होंगे l एक बार देवी पार्वती के जिज्ञासापूर्ण अनुरोध पर मैंने पार्वती को जो बताया था वह पुनः तुम्हे बताता हूँ- गुरुर्देवो गुरुर्धर्मो गुरौ निष्ठा परं तपः l गुरोः परतरं नास्ति त्रिवारं कथयामि ते ll अर्थात "गुरु ही देव हैं, गुरु ही धर्म हैं, गुरु में निष्ठा ही परम तप है | गुरु से अधिक और कुछ नहीं है यह मैं तीन बार कहता हूँ l गुरु और गुरुतत्व को बताते हुए महेशजी ने कहा की, गुरु मात्र कोई व्यक्ति नहीं है अपितु गुरुत्व (गुरु-तत्व) तो व्यक्ति के ज्ञान में समाहित है। उसे वैभव, ऐश्वर्य, सौंदर्य अथवा आयु से नापा नहीं जा सकता। गुरु अंगुली पकड़कर नहीं चलाता, गुरु अपने ज्ञान से शिष्य का मार्ग प्रकाशित करता है। चलना शिष्य को ही पड़ता है। जैसे मै और पार्वती अभिन्न है वैसे ही मै और गुरुत्व (गुरु-तत्व) अभिन्न है l इस तरह से गुरु व गुरुतत्व के बारे में बताने के पश्चात महेश भगवान पार्वतीजी सहित वहां से अंतर्ध्यान हो गये l 

उमरावों के चेतन होने के शुभ समाचार को जानकर उनके सन्तानादि परिजन भी वहां पर आ गए l पूरा वृतांत सुनने के बाद ऋषियों के कहने पर उन सभी ने सूर्यकुंड में स्नान किया l ऋषियों ने, 
“स्वस्त्यस्तु ते कुशलमस्तु चिरायुरस्तु, विद्याविवेककृतिकौशलसिद्धिरस्तु l
ऐश्वर्यमस्तु विजयोऽस्तु गुरुभक्ति रस्तु, वंशे सदैव भवतां हि सुदिव्यमस्तु ll” 
(अर्थ - आप सदैव आनंद से, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें | विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें l ऐश्वर्य व सफलता को प्राप्त करें तथा गुरु भक्ति बनी रहे l आपका वंश सदैव तेजस्वी एवं दिव्य गुणों को धारण करनेवाला बना रहे।) इस मंत्र का उच्चारण करते हुए सभी के हाथों में रक्षासूत्र (कलावा) बांधा और उज्वल भविष्य और कल्याण की कामना करते हुए आशीर्वाद दिए l 

आसन मघासु मुनय: शासति युधिष्ठिरे नृपते l
सूर्यस्थाने महेशकृपया जाता माहेश्वरी समुत्पत्तिः ll 
अर्थ- जब सप्तर्षि मघा नक्षत्र में थे, युधिष्ठिर राजा शासन करता था l सूर्य के स्थान पर अर्थात राजस्थान प्रान्त के लोहार्गल में (लोहार्गल- जहाँ सूर्य अपनी पत्नी छाया के साथ निवास करते है, वह स्थान जो की माहेश्वरीयों का वंशोत्पत्ति स्थान है), भगवान महेशजी की कृपा (वरदान) से l कृपया - कृपा से, माहेश्वरी उत्पत्ति हुई (यह दिन युधिष्टिर संवत 9 जेष्ट शुक्ल नवमी का दिन था l तभी से माहेश्वरी समाज 'जेष्ट शुक्ल नवमी' को “महेश नवमी’’ के नाम से, माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिन (माहेश्वरी स्थापना दिन) के रूप में बहुत धूम धाम से मनाता है l “महेश नवमी” माहेश्वरी समाज का सबसे बड़ा त्योंहार है, सबसे बड़ा पर्व है) l

माहेश्वरी वंशोत्पत्ति से सम्बंधित सन्दर्भ, तत्थ्य, प्रमाण एवं वंशोत्पत्ति के बाद से अबतक का इतिहास आदि जानकारी के लिए कृपया इस Link को देखें > Maheshwari - Origin and brief History

शांतनु माहेश्वरी ने जीता खतरों के खिलाड़ी -सीजन 8


Congratulations शांतनु माहेश्वरी

कलर्स टीवी के बहुचर्चित रिएलिटी शो 'खतरों के खिलाड़ी -सीजन 8' के विजेता बन गए है शांतनु माहेश्वरी. 22 जुलाई को शुरू हुआ शो दो महीने तक चला और बीती रात शो के विनिंग स्टंट थे. बता दें कि फैंस कलर्स शो के विनर के लिए काफी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे., सीजन 8 में शांतनु माहेश्वरी ने सबको चौंकाते हुए जीत दर्ज की. शांतनु का मुकाबला छोटे पर्दे की मशहूर बहू अक्षरा यानि हीना खान और रवि दूबे के साथ था, दोनों को मात देते हुए शांतनु ने ट्रॉफी को अपने नाम कर लिया. Maheshwaris Clubs International की ओरसे शांतनु माहेश्वरी का हार्दिक अभिनन्दन... बहुत बहुत बधाई !!!

Symbol and Slogan of Maheshwaris Clubs International

Maheshwaris Clubs International is an international service organization of people of Maheshwari community whose purpose is to bring together business and professional leaders in order to provide humanitarian services, encourage high ethical standards in all vocations, and to advance goodwill and peace around the world.

The members of Maheshwaris Clubs are known as Maheshwarians (Mhn). The Maheshwarian's primary motto is "Devoted to Service". Maheshwarians usually gather fortnightly (a period of two weekly) for breakfast, lunch, or dinner to fulfill their first guiding principle to develop friendships as an opportunity for service.

Why Maheshwaris Clubs?


Maheshwaris Clubs International


माहेश्वरीज क्लब इंटरनॅशनल : 

व्यापार-उद्योग में नाम कमाए हुए माहेश्वरी व्यक्ति अलग-अलग क्षेत्र में समाज की सेवा करें व समाज की सेवा करनेवालों को प्रोत्साहन दें इस उद्देश्य से स्थापित यह एक आंतरराष्ट्रीय संस्था है l सामाजिक व शैक्षणिक प्रकल्पों द्वारा समाजबंधुओं में सामंजस्य व मित्रता को बढ़ावा मिले, समाजबंधुओं में व्यावसायिक सहयोग वृद्धिगत हो, यह माहेश्वरीज क्लब का मुख्य उद्देश है l 

यह क्लब रोटरी क्लब की तर्ज पर कार्य करेगा, Maheshwaris Club की व्यवस्थाएं (सिस्टम), कार्यप्रणाली लगभग रोटरी क्लब की तरह होगी लेकिन इस क्लब में केवल माहेश्वरी समाजबंधु ही मेंबर बन सकेंगे l समाज के संसाधन समाज एवं देश के लिए काम आये इस हेतु इस क्लब की स्थापना की गई है l

आगे बढ़ेगा माहेश्वरी तो आगे बढ़ेगा देश !

Congratulations Anushka Maheshwari


महारानी महाविद्यालय, जयपुर के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर अनुष्का माहेश्वरी के विजयी होने पर बहुत बहुत बधाई, अभिनन्दन, शुभकामनाएं !

शुभेच्छूक-
Maheshwaris Clubs International (MCI)

Wish you a very Happy Maheshwari Raksha Bandhan 'Rishi Panchami'

 

माहेश्वरीयों की विशिष्ट पहचान, 'ऋषी पंचमी' के दिन रक्षाबंधन 

 

आम तौर पर भारत में रक्षाबंधन का त्योंहार श्रावण पूर्णिमा (नारळी पूर्णिमा) को मनाया जाता है लेकिन माहेश्वरी समाज (माहेश्वरी गुरुओं के वंशज जिन्हे वर्तमान में छः न्याति समाज के नाम से जाना जाता है अर्थात पारीक, दाधीच, सारस्वत, गौड़, गुर्जर गौड़, शिखवाल आदि एवं डीडू माहेश्वरी, थारी माहेश्वरी, धाटी माहेश्वरी, खंडेलवाल माहेश्वरी आदि माहेश्वरी समाज) में रक्षा-बंधन का त्यौहार ऋषिपंचमी के दिन मनाने की परंपरा है.